Krishna Ji ki Aarti | कृष्णा जी की आरती : श्रद्धा में वृद्धि

कृष्णा जी की आरती हिंदू धर्म में श्री कृष्ण की महिमा का गुणगान करने वाली एक पवित्र भक्ति-रचना है। कृष्ण, जिन्हें कान्हा, बांसुरी वाला आदि नामो से पुकारा जाता है, प्रेम, त्याग और धर्म के प्रतीक माने जाते हैं।  krishna ji ki aarti का गायन उनके प्रति श्रद्धा, भक्ति और आभार प्रकट करने का एक माध्यम है। आरती भगवान के प्राति आपके भक्ति और प्रेम को दर्शाता है।

यह आरती विशेष रूप से जन्माटष्ट्मी पर गाई जाती है, लेकिन भक्त इसे अपने दैनिक जीवन में भी शामिल कर सकते हैं। आरती के माध्यम से भक्तजन कृष्णा से जीवन में सही मार्गदर्शन, शांति और सुख की प्रार्थना करते हैं। कृष्णा आरती के साथ Shri Radha Rani Ji Ki Aarti करने से कृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त की जा सकती है यह आरती नीचे उपलब्ध है। जिसको पढ़कर आप उनकी आरती करते है।

कृष्णा जी की आरती

आरती कुंजबिहारी की..
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की।
आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की।

गले में बैजंती माला
बजावै मुरली मधुर बाला।
श्रवण में कुण्डल झलकाला
नंद के आनंद नंदलाला।

गगन सम अंग कांति काली
राधिका चमक रही आली।
लतन में ठाढ़े बनमाली
भ्रमर सी अलक – कस्तूरी तिलक – चंद्र सी झलक,

ललित छवि श्यामा प्यारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की।
आरती कुंजबिहारी की…

कनकमय मोर मुकुट बिलसै
देवता दरसन को तरसैं।
गगन सों सुमन रासि बरसै
बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, ग्वालिन संग
अतुल रति गोप कुमारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की।

आरती कुंजबिहारी की…
जहां ते प्रकट भई गंगा
सकल मन हारिणि श्री गंगा।
स्मरन ते होत मोह भंगा
बसी शिव सीस – जटा के बीच – हरै अघ कीच

चरन छवि श्रीबनवारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की
आरती कुंजबिहारी की…

चमकती उज्ज्वल तट रेनू
बज रही वृंदावन बेनू ।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू
हंसत मृदु मंद – चांदनी चंद – कटत भव फंद,

टेर सुन दीन दुखारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की।
आरती कुंजबिहारी की…

आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की।
आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की।

आरती करने की मुख्य विधियां

  1. स्नान: पूजा करने से पहले, आपको स्नान करना चाहिए और साफ-सुथरे कपड़े पहन लेने चाहियें। यह शुद्धता की दृष्टि से आवश्यक है।
  2. पूजा स्थल: एक शुद्ध और शांत पूजा स्थल चुनें जहाँ मूर्ति या चित्र रखी हो। मूर्ति न होने पर आप उनकी परात्मा को विधि के अनुसार पूजा स्थल पर स्थापित कर सकते है।
  3. पूजा सामग्री: पूजा करने के लिए आपको दीपक, धूप, अगरबत्ती, पुष्प, नैवेद्य, ताम्बूल, घंटी, और आरती की थाली की आवश्यकता होगी।
  4. धूप और दीपक: कृष्णा की परात्मा के सामने धुप और दीपक जलाएं।
  5. आरती: आरती की थाली में एक सुंदर सी दीपक रखें और इसे पूजा के दौरान सही दिशा में घूमते हुए ऊपर दी गई Aarti Kunj Bihari Ki Lyrics का गान करें।
  6. मंत्र: आरती के दौरान मन्त्रों का जाप करें ।
  7. नैवेद्य: आरती के बाद, भगवान कृष्ण को प्रसाद के रूप में नैवेद्य चढ़ाएं और फिर इसे बाँटें।
  8. भक्ति: श्रद्धा और पूर्ण भक्ति के साथ पूजा करें और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करें।

यहीं आरती करने की सामान्य विधि है। यह भक्ति और साधना के अनुसार की जा सकती है। आप आपने स्थानीय विधि के अनुसार भी आरती को कर सकते है और इसके लाभ को प्राप्त कर सकते है।

आरती करने से होने वाले लाभ

आरती या कोई भी धार्मिक कार्य करने से बहुत से लाभ होते है यहां कुछ लाभों को हमने आपके जानकारी के लिए बताया है।

  • आध्यात्मिक सुख: Krishna Ji ki Aarti करने से आपको आध्यात्मिक सद्गुण और आंतरिक शांति की प्राप्ति होती है।
  • भक्ति और श्रद्धा: आपकी भक्ति और श्रद्धा में वृद्धि होती है, जो आपके आत्मिक विकास को बढ़ावा देती है।
  • मानसिक शांति: आरती आपका मनोबल बढ़ता है जो मानसिक चिंता और स्ट्रेस को कम करता है।
  • संयम और सामर्थ्य: यह आरती आपके अपने मन को संयमित रखती है और आपको सुदृढ़ और आत्मनिर्भर बनती है।
  • कर्मशीलता: आरती करने से आपका मन कार्यों में लगने लगता है और आप अपने सभी कार्यों में सफल होते है। ।
  • संतुलन: आरती से दिन का संतुलन बना रहता है, जो आपके जीवन को एक धार्मिक दिशा देता है।
  • प्रेम और करुणा: श्रीकृष्ण प्रेम और करुणा के साक्षात स्वरूप हैं। उनकी आरती करने से भक्त के हृदय में प्रेम, दया, और करुणा की भावना विकसित होती है। यह प्रेम न केवल ईश्वर के प्रति बल्कि सभी जीवों के प्रति भी फैलता है, जिससे जीवन में सकारात्मक रिश्ते और सहयोग का विकास होता है।
  • पारिवारिक सुख: आरती करने से पारिवारिक जीवन में शांति और सौहार्द बना रहता है। भगवान की कृपा से घर में प्रेम, विश्वास और सामंजस्य का माहौल उत्पन्न होता है। श्रीकृष्ण को गृहस्थों के संरक्षक के रूप में भी पूजा जाता है, इसलिए उनके प्रति भक्ति करने से परिवार में सुख और समृद्धि का वास होता है।

FAQ

कृष्ण जी की आरती क्या है ?

एक धार्मिक प्रथा है जिसमें भगवान कृष्ण को पूजा जाता है, उनकी महिमा गुणगान की जाती है, और उनके प्रति भक्ति और समर्पण व्यक्त किया जाता है।

क्या आरती को गीत के जैसे गाया जा सकता है ?

इनकी आरती कितनी बार की जानी चाहिए ?

इस आरती का पाठ किस भाषा में किया जा सकता है ?

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