Brihaspativar Vrat Katha Aarti |बृहस्पतिवार व्रत कथा आरती : भक्ति की भावना

बृहस्पतिवार व्रत कथा आरती हिंदू धर्म में विशेष महत्त्व रखती है। बृहस्पतिवार का दिन देवगुरु बृहस्पति को समर्पित होता है, जिन्हें ज्ञान, धर्म, और सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों द्वारा किया जाता है जो अपने जीवन में समृद्धि, पारिवारिक सुख और मानसिक शांति की इच्छा रखते हैं। मान्यता है कि इस व्रत के पालन से जीवन में खुशहाली और सुख-समृद्धि बनी रहती है।

व्रत कथा आरती का गायन इस व्रत के प्रमुख अंग होते हैं। इस कथा का मुख्य उद्देश्य श्रद्धालुओं को सत्य, ईमानदारी, और धार्मिक आस्था के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करना है। यह कथा आरती भक्तों के दिलों में भगवान विष्णु के प्रति श्रद्धा और भक्ति की भावना को प्रकट करती है। मैं Brihaspativar vrat katha aarti को करने वालो के लिए आध्यात्मिक सुन्दरता के साथ सम्पूर्ण कथा आरती को आपको बताता हूँ।

आरती

जय वृहस्पति देवा, ऊँ जय वृहस्पति देवा…
छिन छिन भोग लगा‌ऊँ, कदली फल मेवा ।

तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी..
जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी

चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता…
सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता

तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े…
प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्घार खड़े

दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी…
पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी

सकल मनोरथ दायक, सब संशय हारो…
विषय विकार मिटा‌ओ, संतन सुखकारी।

जो को‌ई आरती तेरी, प्रेम सहित गावे…
जेठानन्द आनन्दकर, सो निश्चय पावे

सब बोलो विष्णु भगवान की जय…
बोलो वृहस्पतिदेव भगवान की जय

आरती

जय वृहस्पति देवा, ऊँ जय वृहस्पति देवा...
छिन छिन भोग लगा‌ऊँ, कदली फल मेवा ।

तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी..
जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी ।

चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता...
सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता ।

तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े...
प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्घार खड़े ।

दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी...
पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी ।

सकल मनोरथ दायक, सब संशय हारो...
विषय विकार मिटा‌ओ, संतन सुखकारी।

जो को‌ई आरती तेरी, प्रेम सहित गावे...
जेठानन्द आनन्दकर, सो निश्चय पावे ।

सब बोलो विष्णु भगवान की जय...
बोलो वृहस्पतिदेव भगवान की जय ।

आप बृहस्पत देव के साथ- साथ बृहस्पतिवार के दिन भगवान विष्णु जी की आरतीलक्ष्मी माता आरती का पाठ कर सकते हैं, क्योंकि यह दिन मुख्य रूप से भगवान विष्णु को भी समर्पित होता है।

Brihaspativar Vrat Katha Aarti करने की विधि

वैसे तो सभी जगह अलग-अलग विधियों से व्रत कथा आरती की जाती है लेकिन, यहाँ एक सरल सूची में विधि के मुख्य चरणों की जानकारी बतायी गई है:

  1. स्नान: व्रत के लिए सबसे पहले स्नान करके स्वच्छ कपड़ें पहन ले। व्रत रखने वाले व्यक्ति को इस दिन पीले वस्त्र पहनने चाहिए, क्योंकि यह रंग बृहस्पति ग्रह का प्रतीक होता है।
  2. तैयारी: पूजन का आयोजन सफलतापूर्वक करने के लिए व्रत के दिन पूजा स्थल को साफ कर लें।
  3. पूजा का आयोजन: भगवान विष्णु और बृहस्पति की मूर्ति या तस्वीर को सजाकर पूजा स्थल पर स्थापित करें। पूजा के दौरान, बृहस्पति देव की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीप जलाकर, फूल, पीला वस्त्र, और चने की दाल चढाएं। सम्भव हो तो पिले रंग का पुष्प अवश्य चढ़ाएं।
  4. संकल्प: भगवान के मूर्ति के सामने बैठ जाएँ और व्रत करने का संकप्ल लें।
  5. कथा का पाठ:  साफ़ मन और श्रद्धा भाव से बृहस्पतिवार व्रत कथा का पाठ करें और पाठ के अर्थो को भी समझे।
  6. आरती: कथा समाप्त हो जाने के बाद कथा बृहस्पतिवार व्रत कथा आरती को सच्चे मन और श्रद्धा से करें। आरती को ऊँचे और मधुर स्वर में गाना चाहिए, इससे सम्पूर्ण वातावरण भक्तिमय हो जाता है। आप आरती के साथ ढोलक, घंटी, शंख और ताली भी बजा सकते है।
  7. प्रसाद: आरती समाप्त हो जाने के बाद, पूजा की दृष्टि से खिचड़ी, दही, और पकवान बनाकर ब्रिहस्पति को चढ़ाएं और इसे प्रसाद के रूप में सभी लोगो को दें।
  8. व्रत विधिनियमों का पालन: बृहस्पतिवार के दिन सुबह से शांति और सामर्पण भाव में व्रत करें। व्रत के दिन केवल एक बार भोजन करें और अन्य सभी अन्नों से दूर रहें। व्रत के दिन शाम को फिर से व्रत कथा का पाठ करें और उसके बाद ही खान-पान करें।
  9. समापन: भगवान बृहस्पति और भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद, व्रत को समाप्त करें और भगवान की कृपा और आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करें।

इस तरीके से, कथा करने के विधि नियमों का पालन करके आप इस पवित्र व्रत को समर्पित रूप से मना सकते हैं और भगवान की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

व्रत कथा आरती करने के लाभों की विवरण सूची

  • आध्यात्मिक विकास: इस व्रत को करने से आपका आध्यात्मिक जीवन मजबूत होता है, और भगवान विष्णु के प्रति अधिक श्रद्धा और भक्ति विकसित होती है।
  • व्रत करने की अद्भुत क्षमता: बृहस्पतिवार को व्रत रखने से आपके संयम और व्रत करने की क्षमता में सुधार होता है, जिससे आप अन्य व्रतों को भी सही तरीके से कर सकते हैं।
  • आर्थिक सुख: इस व्रत का पालन करने से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है, और आपके जीवन में समृद्धि आती है।
  • परिवारिक खुशियाँ: कथा का पालन करने से परिवार के सभी सदस्यों के बीच प्रेम बढ़ता है और परिवार में खुशियां बनी रहती है।
  • स्वास्थ्य: इस व्रत को करने से आपके स्वास्थ्य में सुधार होता है और आपका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर बनता है।
  • मानसिक शांति: मानसिक स्थिति में सुधार होता है, जिससे जीवन सुखमय और चिंताओं से दूर रहता है।
  • आशीर्वाद: इस व्रत आरती के माध्यम से भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है, जिससे आपके जीवन में सदा सुख और समृद्धि की वृद्धि होती है।
  • कार्यो में सुधार: आरती करने से आप अपने कार्यों के प्रति गम्भीर रहते है जिससे आपके सभी कार्य सफल होते है।
  • सामाजिक सहायता: इस व्रत के पालन से आपकी सामाजिक सहायता करने की भावना मजबूत होती है, और आप को लोगो की मदद करने का अवसर पाते हैं।
  • धार्मिक समर्पण: इस व्रत को करने से आप अपने धार्मिक समर्पण को बढ़ाते हैं और धर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित होते हैं।

ये थे कुछ मुख्य लाभ जो बृहस्पतिवार व्रत कथा करने से मिल सकते हैं। ध्यान दें कि व्रत के पालन के साथ-साथ, यह आपके भक्ति और आध्यात्मिक अवबोध को भी बढ़ावा देता है।

FAQ

बृहस्पतिवार व्रत क्या है ?

हिंदू धर्म में गुरुवार को बड़े महत्वपूर्ण और पौराणिक व्रत में से एक है। इसका मुख्य उद्देश्य भगवान बृहस्पति की पूजा कर उनकी कृपा प्राप्त करना है।

क्या इस व्रत को हर कोई कर सकता है ?

इस व्रत को कितने दिनों तक मनाना चाहिए ?

इस व्रत के दौरान क्या खाना पीना चाहिए ?

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