दुर्गा गायत्री मंत्र | Durga Gayatri Mantra : सुख-शांति

दुर्गा गायत्री मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को अंतरात्मा से जुड़ने की शक्ति, साहस, और समर्पण की भावना मिलती है। यदि आप दुर्गा माता के प्रति भक्ति और श्रद्धा रखते हैं, तो Durga Gayatri Mantra का जाप करने से आपके जीवन में सुख-शांति ,साहस और समृद्धि बनी रहेगी है। माता रानी नारी शक्ति का प्रतीक हैं और जीवन के हर संकट का सामना करने की प्रेरणा देती हैं।

इस गायत्री मंत्र का जाप मन और आत्मा को शुद्ध करता है और साधक को साहस, आत्मबल और सफलता प्रदान करता है। यह मंत्र नकारात्मकता और भय को दूर करता है और जीवन में शांति और सकारात्मक ऊर्जा लाता है। यह मंत्र कठिन परिस्थितियों में दृढ़ता और धैर्य बनाए रखने में सहायक है। यहां हमने आपके लिए इस मंत्र को सरल और आसान शब्दों में नीच उपलब्ध कराया है।

Durga Gayatri Mantra

ओम् कात्यान्ये च विद्मिहे कन्याकुमार्ये धीमहि,
तन्नो: देवी  प्रचोदयात

ओम् गिरिजायये  विद्मिहे शिवप्रियाये धीमहि,
तन्नो: दुर्गा  प्रचोदयात।

इसके अलावा आप Durga Aarti, Durga Saptashati, Durga stotram, Durga Chalisa का पाठ भी कर सकते है। ऐसा माना जाता है की इनका पाठ करने से जीवन के सभी परेशानिया और संकट दूर होते है।

दुर्गा गायत्री मंत्र का जप करने की विधि

  1. स्थान चयन: मंत्र का जाप करने के लिए आप शांत, पवित्र और स्वच्छ स्थान का चयन करें। यदि संभव हो, तो अपने ही घर में एक पूजा कक्ष या मंदिर का निर्माण करवाएं या मंदिर में ही जाकर इस मंत्र का जाप करें। 
  2. आसन: कुश पर सुखासन में बैठ जाएँ। यह आपके लिए आरामदायक होगा।
  3. मंत्र शुद्धि: हाथ धोकर और धुप बत्ती जलाकर अपने आस-पास के वातावरण को शुद्ध कर लें और मंत्रों का उच्चारण करके मंत्र की भी शुद्धि करें।
  4. संकल्प: जाप करते हुए मन में संकल्प करें कि आप का जाप सच्ची श्रद्धा से कर रहे हैं और इससे आपको शक्ति, साहस और सुख-शांति मिलेगी।
  5. मंत्र जाप: जाप माला का प्रयोग करते हुए 108 बार जाप करे। 
  6. ध्यान: जाप के बाद माँ दुर्गा का भक्तिभाव से ध्यान करें और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें।
  7. प्रसाद: मंत्रों का ध्यान करने के बाद आप प्रसाद को बाटे तथा खुद भी खाएं। 

ऊपर बताये गए विधि अनुष्ठान से आप जाप कर सकते हैं तथा माता से आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।  

मंत्र के जप के लाभ

  • शक्ति प्राप्ति: मंत्र का नियमित जप करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक और शारीरिक शक्ति मिलती है।
  • सुख-शांति: जप करने से व्यक्ति के जीवन में सुख और शांति बनी रहती है।  
  • मानसिक स्थिति: नियमित विश्वास के साथ जप करने से मानसिक स्थिति में सुधार होता है, और व्यक्ति हमेशा सकारात्मक विचारों से घिरा रहता है।
  • रोग-निवारण: जप करने से हमारा शरीर रोगमुक्त होता है, आयुर्वेदों में कहा गया है की मंत्रों का उच्चारण करने से हमारे आस -पास  एक सकारात्मक शक्ति उतपन्न होती है जो हमे हर तरह से लाभ पहुँचाता है।
  • भय और दुश्मन: जप करने से व्यक्ति भय और दुश्मनों से मुक्ती पाता है।
  • सफलता: जाप करने से आप अपने कार्यों में  सफलता पाते हैं तथा आप के कार्य में कोई रुकावट नहीं आता। 
  • आत्म-विकास: नियमित जप करने से आप अपने अंतरात्मा से जुड़ पते हैं तथा आत्मा का विकास होता है और व्यक्ति अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सफल होता है।
  • कर्म सिद्धि: इस मंत्र का जप करने से आप अपने कर्मों में सिद्धि प्राप्त करते है और व्यक्ति को उच्च स्तर पर कार्य करने की क्षमता मिलती है।
  • आत्मिक समृद्धि: जप करने से हमारा आत्मिक विचार  समृद्धि होता है और व्यक्ति अपने अंतरात्मा के साथ जुड़ा रहता है।
  • परिवार में हार्मोनी: इस मंत्र का नियमित जप करने से परिवार में सद्गुण हार्मोनी बनी रहती है जिससे पढ़ी दर पीढ़ी अध्यात्म और संस्कार से लोग जुड़ते चले आते हैं, और परिवार के सदस्यों के बीच सजगता बढ़ती है।
  • अनुष्ठान: जीवन में शक्ति और सफलता की ओर बढ़ना। 

FAQ

मंत्र क्या है और इसका महत्व क्या है ?

हिन्दू धर्म में एक विशेष लाभदायक मंत्र है जिसका जप माँ दुर्गा की पूजा करने में किया जाता है। इस मंत्र का जप माता दुर्गा की कृपा, शक्ति और सुरक्षा की प्राप्ति के लिए किया जाता है।

मंत्र का जप कितनी बार करना चाहिए ?

जप कब करना चाहिए ?

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