Shiv Stuti | शिव स्तुति : भगवान शिव के चमत्कार

शिव स्तुति, भगवान शिव की आराधना का एक ऐसा दिव्य माध्यम है, जो भक्तों को उनके अपार प्रेम, करुणा और शक्ति से जोड़ता है। शिव, जिन्हें भोलेनाथ, महादेव और त्रिनेत्रधारी के नाम से भी जाना जाता है, सृष्टि के पालनकर्ता और संहारक दोनों माने जाते हैं। Shiv Stuti का जाप और shiv ji ke bhajan उनके अनंत गुणों का स्मरण कराता है और हमें उनकी कृपा की अनुभूति कराता है।

जब हम इस स्तुति का पाठ करते हैं, तो यह न केवल हमारे मन को शांति और सकारात्मकता से भर देता है, बल्कि हमें कठिन समय में धैर्य और साहस प्रदान करता है। इस स्तुति के माध्यम से हम उनके अनुकंपा और आशीर्वाद की शक्ति को महसूस कर सकते हैं, जो हमारे जीवन के हर पहलू को शुभता और समृद्धि से भर देती है। इस स्तुति को हमने आपके लिए नीचे उपलब्ध कराया है।

शिव स्तुति

आशुतोष शशाँक शेखर,
चन्द्र मौली चिदंबरा,

कोटि कोटि प्रणाम शम्भू,
कोटि नमन दिगम्बरा॥

निर्विकार ओमकार अविनाशी,
तुम्ही देवाधि देव,

जगत सर्जक प्रलय करता,
शिवम सत्यम सुंदरा॥

निरंकार स्वरूप कालेश्वर,
महा योगीश्वरा,

दयानिधि दानिश्वर जय,
जटाधार अभयंकरा॥

शूल पानी त्रिशूल धारी,
औगड़ी बाघम्बरी,

जय महेश त्रिलोचनाय,
विश्वनाथ विशम्भरा॥

नाथ नागेश्वर हरो हर,
पाप साप अभिशाप तम,

महादेव महान भोले,
सदा शिव शिव संकरा॥

जगत पति अनुरकती भक्ति,
सदैव तेरे चरण हो,

क्षमा हो अपराध सब,
जय जयति जगदीश्वरा॥

जनम जीवन जगत का,
संताप ताप मिटे सभी,

ओम नमः शिवाय मन,
जपता रहे पञ्चाक्षरा॥

आशुतोष शशाँक शेखर,
चन्द्र मौली चिदंबरा,
कोटि कोटि प्रणाम शम्भू,
कोटि नमन दिगम्बरा॥

कोटि नमन दिगम्बरा..
कोटि नमन दिगम्बरा..
कोटि नमन दिगम्बरा..

इसके अलावा आप Shiv Tandav Stotram का पाठ भी कर सकते है जो शिव की आराधना का एक अन्य स्तोत्र है।

Shiv Stuti का पाठ करने की विधि:

  1. तैयारी: तैयारी में आप सबसे पहले एक शांत और साफ -सुथरे स्थान का चयन करें। ताकि आप अपने मन को शुद्ध करने के लिए ध्यान कर सके। 
  2. आराधना का आरंभ: पूजा की शुरुआत आप भगवान शिव की मूर्ति, फोटो, या मंत्र के सामने बैठ जाएँ फिर अपनी आंखे बंद कर लें और गहरे श्रद्धा भाव से ध्यान करना शुरू करें।
  3. ध्यान और प्रणाम: शिव भगवान की स्तुति के लिए आप उन्हें पूरी श्रद्धा से प्रणाम करें और ध्यान से उनकी शक्तियों को महसूस करें। 
  4. मंत्र जप: panchakshari mantra जैसे और भी प्रमुख शिव मंत्रों का जप करें और ध्यान रहे की मंत्रों का सही से उच्चारण करें। 
  5. आरती और भजन: शिव जी की स्तुति करते समय शिव जी की आरती प्रसन्नचित्त मन से  गाएं ,खुसी मन से आरती गाने से आपका मन शांत और आनंद से भरा रहेगा।
  6. कृतज्ञता अर्पण: अपनी आराधना खत्म करने के बाद शिव जी को कृतज्ञता भाव से इस जीवन के लिए धन्यवाद दें और खुद को उनकी आस्था के प्रति समर्पित कर दें।

स्तुति के पाठ से होने वाले लाभ:

  • आध्यात्मिक उन्नति: स्तुति का पाठ करने से मन और आत्मा शांत और पवित्र होता है, और आध्यात्म की उन्नति में शिव जी की कृपा से हम भी भागीदार बनते हैं। 
  • शांति और सुख: इस स्तुति के पाठ से हमारा मानसिक संतुलन बना रहता है, शरीर स्वस्थ्य रहता है जिसकी वजह से हमे अपने जीवन में सुख मिलता है।
  • पाप से मुक्ति: स्तुति से आपके पापों का प्रायश्चित्त होता, आप के पाप कट जाते हैं और आप अपने जीवन में कभी भी कोई गलत कार्य नहीं कर पाते। 
  • शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य:  इस स्तुति के अभ्यास से आपका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य हमेशा बना रहता है। 
  • आत्म-संयम: स्तुति का पाठ करने से, आप अपने इंद्रियों को नियंत्रित कर पाते हैं और आप अपने ऊपर आत्म-संयम करना सिख जाते हैं।
  • कर्म क्षमता: इस स्तुति के द्वारा आपका कार्य करने की क्षमता बढ़ जाती है और आप जीवन में आने वाली सभी संघर्षों का सामना कर पाते हैं। 
  • आशीर्वाद: इसके पाठ से भक्तों को भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे आपका जीवन सुखमय बन जाता है। 
  • धार्मिक संवाद: स्तुति के पाठ से आप अध्यात्म का हिस्सा बन जाते हैं और इससे अध्यात्म का विकास होता है। जिससे अपने आस-पास के लोगों के साथ धार्मिक बात -विचार करने के लिए प्रेरित होते हैं।  

FAQ

यह स्तुति क्यों महत्वपूर्ण है ?

स्तुति एक आध्यात्मिक अभ्यास है जिसमें भक्त भगवान शिव की महिमा और गुड़गान करता है और उनकी पूजा करता है। यह स्तुति भक्ति और आत्म विकास का एक रास्ता है।

क्या स्तुति के पाठ का कोई विशेष समय होता है ?

क्या इस स्तुति का कोई विशेष मंत्र होता है ?

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