कब से खड़ा हूँ माँ तेरे द्वार भजन लिरिक्स

भक्त जब माँ के द्वार पर सच्चे मन से प्रार्थना करते हैं, तो वे कभी खाली हाथ नहीं लौटते। कब से खड़ा हूँ माँ तेरे द्वार भजन उसी भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है, जहाँ भक्त माँ की असीम कृपा की प्रतीक्षा करते हैं। यह भजन माँ के प्रति अटूट विश्वास को दर्शाता है, जो हमें याद दिलाता है कि माँ अपने भक्तों की हर पुकार सुनती हैं और सही समय पर उनकी मनोकामनाएँ पूरी करती हैं।

Kab Se Khada Hu Maa Tere Dwar

कब से खड़ा हूँ,
माँ तेरे द्वार,
सुन भी लो मेरे,
मन की पुकार,
तू तो अंतर्यामी है,
मेरी शेरावाली माँ,
जग कल्याणी है,
मेरी शेरावाली माँ।1।

तेरे द्वारे पे माँ,
हम झोली फेलाए खड़े है,
तेरी महिमा निराली,
ये चर्चे भी हम ने सुने है,
बिगड़ी तू देती बना,
बड़ी दयावानी है,
मेरी शेरावाली माँ,
जग कल्याणी है,
मेरी शेरावाली माँ।2।

ऊंचे पर्वतों पे,
माँ लगाया है दरबार तुमने,
पोड़ी पोड़ी चढके,
मैं आया हूँ दिदार करने,
मुखड़ा तो अपना दिखा,
तू करती मैहरबानी है,
मेरी शेरावाली माँ,
जग कल्याणी है,
मेरी शेरावाली माँ।3।

श्रृंगार तेरा भवानी,
अपने हाथों से हम तो करेंगे,
गोटेदार चुदर माँ,
सर पर हम तेरे धरेंगे,
माथे की बिंदिया तो,
सुरज के समानी है,
मेरी शेरावाली माँ,
जग कल्याणी है,
मेरी शेरावाली माँ।4।

दर पर तेरे सुरेन्द्र,
भजन यूं ही तो करता रहेगा,
ज्योती तेरी माँ अम्बे,
ये यूं ही निहारा करेगा,
बालक को लो अपना,
देवो में आदरणी है,
मेरी शेरावाली माँ,
जग कल्याणी है,
मेरी शेरावाली माँ।5।

कब से खड़ा हूँ,
माँ तेरे द्वार,
सुन भी लो मेरे,
मन की पुकार,
तू तो अंतर्यामी है,
मेरी शेरावाली माँ,
जग कल्याणी है,
मेरी शेरावाली माँ।6।

माँ अपने भक्तों के धैर्य और प्रेम की परीक्षा लेती हैं, लेकिन जब वे कृपा बरसाती हैं, तो जीवन आनंद से भर जाता है। “कब से खड़ा हूँ माँ तेरे द्वार” भजन हमें माँ की भक्ति में डटे रहने और उनके आशीर्वाद की प्रतीक्षा करने की प्रेरणा देता है। यदि यह भजन आपको माँ की भक्ति में और गहरा डुबो देता है, तो “[मैया तेरी तस्वीर सिरहाने रखकर सोते हैं]” जैसे अन्य भक्तिमय भजन भी अवश्य सुनें और माँ की कृपा प्राप्त करें। जय माता दी! 🙏✨

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