शिव तांडव स्तोत्र लिरिक्स आपके धार्मिक कार्यो में अत्यधिक उपयोगी हो सकता है। इसके प्रयोग से आप स्तोत्र को बिना किसी कठिनाई के पढ़ सकतें है और अपने पाठ को और प्रभावशाली बना सकते है। यह स्तोत्र भगवन शिव की भक्ति और स्तुति के लिए समर्पित है Shiv Tandav Stotram में भगवान शिव के तांडव नृत्य का वर्णन किया गया है, जिसे ब्रह्मांडीय नृत्य भी कहा जाता है। इस नृत्य में शिव को सृष्टि, संरक्षण और संहार का प्रतीक बताया गया हैं।
Shiv Tandav Stotra Lyrics शिवभक्त रावण द्वारा रचित ग्रन्थ है जिसमे 1008 श्लोक है। इस स्तोत्र का पाठ करने से अनेक लाभ होते है जैसे जीवन में सकारात्मकता आती है, साहस और बुद्धि का विकास होता है आदि। इस स्तोत्रम का पाठ करके आप भी बहुत सारे लाभ को प्राप्त कर सकतें है। यह लिरिक्स कुछ इस प्रकार से है –
शिव तांडव स्तोत्र लिरिक्स
जटाटवीगलज्जल प्रवाहपावितस्थले
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजंगतुंगमालिकाम्।
डमड्डमड्डमड्डमनिनादवड्डमर्वयं
चकार चंडतांडवं तनोतु नः शिवः शिवम॥1॥
जटा कटा हसंभ्रम भ्रमन्निलिंपनिर्झरी।
विलोलवी चिवल्लरी विराजमानमूर्धनि।
धगद्धगद्ध गज्ज्वलल्ललाट पट्टपावके
किशोरचंद्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं ममं॥2॥
धरा धरेंद्र नंदिनी विलास बंधुवंधुर
स्फुरदृगंत संतति प्रमोद मानमानसे।
कृपाकटा क्षधारणी निरुद्धदुर्धरापदि
कवचिद्विगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि॥3॥
जटा भुजं गपिंगल स्फुरत्फणामणिप्रभा
कदंबकुंकुम द्रवप्रलिप्त दिग्वधूमुखे।
मदांध सिंधु रस्फुरत्वगुत्तरीयमेदुरे
मनो विनोदद्भुतं बिंभर्तु भूतभर्तरि॥4॥
सहस्र लोचन प्रभृत्य शेषलेखशेखर
प्रसून धूलिधोरणी विधूसरांघ्रिपीठभूः।
भुजंगराज मालया निबद्धजाटजूटकः
श्रिये चिराय जायतां चकोर बंधुशेखरः॥5॥
ललाट चत्वरज्वलद्धनंजयस्फुरिगभा
निपीतपंचसायकं निमन्निलिंपनायम्।
सुधा मयुख लेखया विराजमानशेखरं
महा कपालि संपदे शिरोजयालमस्तू नः॥6॥
कराल भाल पट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल
द्धनंजया धरीकृतप्रचंडपंचसायके।
धराधरेंद्र नंदिनी कुचाग्रचित्रपत्रक
प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने मतिर्मम॥7॥
नवीन मेघ मंडली निरुद्धदुर्धरस्फुर
त्कुहु निशीथिनीतमः प्रबंधबंधुकंधरः।
निलिम्पनिर्झरि धरस्तनोतु कृत्ति सिंधुरः
कलानिधानबंधुरः श्रियं जगंद्धुरंधरः॥8॥
प्रफुल्ल नील पंकज प्रपंचकालिमच्छटा
विडंबि कंठकंध रारुचि प्रबंधकंधरम्
स्मरच्छिदं पुरच्छिंद भवच्छिदं मखच्छिदं
गजच्छिदांधकच्छिदं तमंतकच्छिदं भजे॥9॥
अगर्वसर्वमंगला कलाकदम्बमंजरी
रसप्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम्।
स्मरांतकं पुरातकं भावंतकं मखांतकं
गजांतकांधकांतकं तमंतकांतकं भजे॥10॥
जयत्वदभ्रविभ्रम भ्रमद्भुजंगमस्फुर
द्धगद्धगद्वि निर्गमत्कराल भाल हव्यवाट्
धिमिद्धिमिद्धिमि नन्मृदंगतुंगमंगल
ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्ड ताण्डवः शिवः॥11॥
दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजंग मौक्तिकमस्रजो
र्गरिष्ठरत्नलोष्टयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः।
तृणारविंदचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः
समं प्रवर्तयन्मनः कदा सदाशिवं भजे॥12॥
कदा निलिंपनिर्झरी निकुजकोटरे वसन्
विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरःस्थमंजलिं वहन्।
विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः
शिवेति मंत्रमुच्चरन्कदा सुखी भवाम्यहम्॥13॥
निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका
निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः।
तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं
परिश्रय परं पदं तदंगजत्विषां चयः॥14॥
प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी
महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना।
विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः
शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम्॥15॥
इमं हि नित्यमेव मुक्तमुक्तमोत्तम स्तवं
पठन्स्मरन् ब्रुवन्नरो विशुद्धमेति संततम्।
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नांयथा गतिं
विमोहनं हि देहना तु शंकरस्य चिंतनम॥16॥
पूजाऽवसानसमये दशवक्रत्रगीतं
यः शम्भूपूजनमिदं पठति प्रदोषे।
तस्य स्थिरां रथगजेंद्रतुरंगयुक्तां
लक्ष्मी सदैव सुमुखीं प्रददाति शम्भुः॥17॥
॥ इति शिव तांडव स्तोत्रं संपूर्णम्॥
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Shiv Tandav Stotra Lyrics के पाठ की विधि
स्तोत्रम का पाठ अलग-अलग स्थानों पर भिन्न-भिन्न तरिके से किया जा सकता है। आप भी अपने क्षेत्रीय विधि के अनुसार स्तोत्र का पाठ कर सकते है। यहाँ पर शिव तांडव स्तोत्रम के पाठ की मुख्य विधि का वर्णन निम्नलिखित प्रकार से है –
- स्नान एवं शुद्धि: पाठ करने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करके स्वच्छ हो जाएँ और साफ कपड़ें पहन ले। शारीरिक और मानसिक शुद्धता अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- पूजा स्थल: पूजा के लिए एक साफ और स्वच्छ स्थान का चयन करें और उस स्थान पर शिव की मूर्ति या चित्र को विधिपूर्वक स्थापित करें। भगवान शिव के समक्ष घी का एक दीप जलाएं।
- पवित्र आसन: शांत और स्थिर मन से कुशा या सूती आसन पर बैठें। ध्यान रहे कि उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
- ध्यान: भोलेनाथ का ध्यान करें। उनकी तीसरी आँख, जटा, गले में सांप और त्रिशूल धारण किए हुए रूप का मन में ध्यान करें।
- पाठ: पूरे मन से शिव तांडव स्तोत्रम् का उच्चारण करें। पाठ करते समय एकाग्रता बनाए रखें और शिव जी की महिमा का चिंतन करें।
- अगरबत्ती एवं बेलपत्र: शिवलिंग पर बेलपत्र और अगरबत्ती अर्पित करें। यह शिव जी को अत्यंत प्रिय है।
- भोग लगाएं: भोलेनाथ को बर्फी, लड्डू, भांग, आदि का भोग लगाएं।
- मंत्र: इसके पाठ के बाद, 108 बार “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जप करें। यह पाठ के प्रभाव को और अधिक बढ़ा देता है।
- प्रसाद वितरण: पाठ के अंत में सभी लोगो में प्रसाद वितरित करें और स्वयं भी ग्रहण करें।
- नियमितता: अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए शिव तांडव स्तोत्रम् लिरिक्स का पाठ नियमित रूप से करें, विशेषकर सोमवार को या महाशिवरात्रि के दिन
स्तोत्र का पाठ करने से होने वाले लाभ
इस स्तोत्रम के पाठ से अनेको लाभ होते है जिसमे से कुछ लाभों का वर्णन नीचे किया गया है –
- आध्यात्मिक शांति: शिव तांडव स्तोत्रम् के पाठ से मन को गहन शांति और आंतरिक संतुलन प्राप्त होता है, जिससे व्यक्ति तनाव और चिंता से मुक्त होता है।
- नकारात्मक ऊर्जा: इसका नियमित पाठ नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों से रक्षा करता है, और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
- संकटों से मुक्ति: इस स्तोत्रम् का पाठ करने से जीवन के कष्ट और परेशानियों में कमी आती है, और व्यक्ति संकटों से बाहर निकलने की शक्ति प्राप्त करता है।
- शिव की कृपा: स्तोत्र के माध्यम से भगवान शिव की विशेष कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे जीवन में समृद्धि और सौभाग्य का आगमन होता है।
- धन और समृद्धि: इसका पाठ करने से आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है और धन की प्राप्ति के योग बनते हैं।
- स्वास्थ्य लाभ: इस स्तोत्र का पाठ करने से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। इसके नियमित जप से रोगों से मुक्ति मिलती है और आयुर्वृद्धि होती है।
- आत्मविश्वास: इसका पाठ करने से व्यक्ति के भीतर आत्मबल, धैर्य और आत्मविश्वास की वृद्धि होती है, जिससे वह जीवन की कठिनाइयों का सामना साहसपूर्वक कर सकता है।
- कर्मों का शुद्धिकरण: इसका नियमित रूप से पाठ करने से पिछले जन्मों के बुरे कर्मों का शमन होता है और पापों से मुक्ति मिलती है।
- आध्यात्मिक उन्नति: यह स्तोत्र व्यक्ति को मोक्ष प्राप्ति के मार्ग पर अग्रसर करता है और उसे उच्च आध्यात्मिक स्तर पर पहुँचने में सहायता करता है
FAQ
क्या इस स्तोत्र लिरिक्स का पाठ घर पर किया जा सकता है ?
हाँ, इस स्तोत्रम् का पाठ घर पर शुद्ध स्थान में, भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग के समक्ष किया जा सकता है।
इसका उच्चारण कैसे करें ?
स्तोत्र का उच्चारण ऊँचे स्वर या मन में किया जा सकता है पाठ का उच्चारण सही और साफ शब्दों में करें।
क्या यह स्तोत्रम लिरिक्स किसी अन्य भाषा में भी उपलब्ध है ?
हां, इस लिरिक्स को हिंदी के अलावा संस्कृत, तमिल, तेलगु, कन्नड़ आदि भाषाओँ में भी उपलब्ध है।
क्या इसका पाठ विशेष विधि के अनुसार करना आवशयक है ?
नहीं, पाठ को सच्चे मन और शुद्ध भावना के साथ किया जा सकता है।
I am Shri Nath Pandey and I am a priest in a temple, which is located in Varanasi. I have been spending my life worshiping for the last 6 years. I have dedicated my soul completely to the service of God. Our website is a source related to Aarti, Stotra, Chalisa, Mantra, Festivals, Vrat, Rituals, and Sanatan Lifestyle.