रूप धरे विकराल ओ मैया रूप धरे विकराल

जब अधर्म अपने चरम पर पहुँचता है और भक्तों पर संकट गहराने लगता है, तब माँ दुर्गा अपने रौद्र रूप में प्रकट होती हैं। रूप धरे विकराल ओ मैया, रूप धरे विकराल भजन माँ की उस दिव्य शक्ति का वर्णन करता है, जो पापियों का संहार करने और अपने भक्तों की रक्षा करने के लिए प्रकट होती है। यह भजन माँ के विकराल रूप की महिमा का गुणगान करता है और यह दर्शाता है कि माँ अपने भक्तों को कभी अकेला नहीं छोड़तीं।

Rup Dhare Vikaral Vo Maiya Rup Dhare Vikaral

रूप धरे विकराल ओ मैया,
रूप धरें विकराल,
जिनके आगे दानव भागे,
आ जाए भूचाल,
रूप धरें विकराल ओ मईया,
रूप बड़ा विकराल।1।

खड़ग त्रिशूल को लेकर,
मन में क्रोध भयंकर,
समर मे ऐसी गरजे,
दानव कापे थर थर,
पाप मिटाए जगत बचाए,
दुनिया हुई खुशहाल,
रूप धरें विकराल ओ मईया,
रूप बड़ा विकराल।2।

रूप भयानक काला,
पहने मुंड की माला,
छोड़े मैया ज्वाला,
पिये लहू का प्याला,
शक्तिशाली ममता वाली,
संकट देती टाल,
रूप धरें विकराल ओ मईया,
रूप बड़ा विकराल।3।

दानव दल को मिटाने,
चली है मैया ठाने,
लगी कटार चलाने,
दुष्ट लगे घबराने,
करो ‘निरंजन’ माँ का वंदन,
मैया बड़ी दयाल,
रूप धरें विकराल ओ मईया,
रूप बड़ा विकराल।4।

रूप धरे विकराल ओ मैया,
रूप धरें विकराल,
जिनके आगे दानव भागे,
आ जाए भूचाल,
रूप धरें विकराल ओ मईया,
रूप बड़ा विकराल।5।

“रूप धरे विकराल ओ मैया, रूप धरे विकराल” भजन माँ दुर्गा की अद्भुत शक्ति और उनके संहारक रूप का जयगान करता है। माँ केवल प्रेम और ममता की मूर्ति ही नहीं, बल्कि संकट के समय अपने भक्तों की रक्षा करने वाली महाशक्ति भी हैं। माँ की इस अपार महिमा को और अधिक महसूस करने के लिए “[जब-जब संकट आया, माँ ने रक्षा की]” जैसे भजन भी मन को श्रद्धा से भर देते हैं। माँ का आशीर्वाद सदा बना रहे, जय माता दी! 🙏🔱

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