हनुमान मेरे वन के साथी सीता इन बिन ना मिल पाती लिरिक्स

“हनुमान मेरे वन के साथी, सीता इन बिन ना मिल पाती” भजन का संदेश हमें श्री हनुमान जी की महान भक्ति और बल की याद दिलाता है। हनुमान जी ने भगवान राम के लिए सागर को पार किया और सीता माता को ढूंढने के लिए लंका में प्रवेश किया। उनके इस समर्पण और साहस के कारण ही सीता माता राम से मिल पाई। इस भजन के माध्यम से हम हनुमान जी की भूमिका को समझते हैं, जिन्होंने भगवान राम और माता सीता के मिलन को संभव किया।

Hanuman Mere Van Ke Sathi In Been Na Meel Pati Lyrics

हनुमान मेरे वन के साथी,
सीता इन बिन ना मिल पाती,
हनुमान का हरदम ऋणी रहूँ,
ऋणी रहूँ मैं ऋणी रहूँ।1।

सागर को पार करके,
सीता का पता लगाया,
लंका जला के इनने,
सब खाक में मिलाया,
इनसा ना कोई जग में,
बतलाना चाहता हुँ,
हनुमान मेरें वन के साथी,
सीता इन बिन ना मिल पाती,
हनुमान का हरदम ऋणी रहूँ,
ऋणी रहूँ मैं ऋणी रहूँ।2।

शक्ति लगी थी जिस दम,
लक्ष्मण को मेरे भाई,
एक भी नही था दल में,
लक्ष्मण का कोई सहाई,
सँजीवनी ये लाये,
बतलाना चाहता हूँ,
हनुमान मेरें वन के साथी,
सीता इन बिन ना मिल पाती,
हनुमान का हरदम ऋणी रहूँ,
ऋणी रहूँ मैं ऋणी रहूँ।3।

हमको चुरा अहिरावण,
पाताल ले गया था,
अब हम नही बचेगे,
विश्वास हो गया था,
अहिरावण को इनने मारा,
बतलाना चाहता हूँ,
हनुमान मेरें वन के साथी,
सीता इन बिन ना मिल पाती,
हनुमान का हरदम ऋणी रहूँ,
ऋणी रहूँ मैं ऋणी रहूँ।4।

संकट की हर घड़ी में,
मेरे हुये सहाई,
इनका ऋणी रहूंगा,
ये मेरे भरत भाई,
भक्ति में शक्ति “राजेन्द्र”
समझाना चाहता हूँ,
हनुमान मेरें वन के साथी,
सीता इन बिन ना मिल पाती,
हनुमान का हरदम ऋणी रहूँ,
ऋणी रहूँ मैं ऋणी रहूँ।5।

हनुमान मेरे वन के साथी,
सीता इन बिन ना मिल पाती,
हनुमान का हरदम ऋणी रहूँ,
ऋणी रहूँ मैं ऋणी रहूँ।6।

इस भजन के अंत में, हम अपने ह्रदय में हनुमान जी के प्रति श्रद्धा और भक्ति महसूस करते हैं। हनुमान जी का आशीर्वाद पाने के लिए हमें अपने जीवन में राम के प्रति प्रेम और समर्पण बनाए रखना चाहिए। जब हम हनुमान जी के नाम का जप करते हैं, तो हमारी सभी कठिनाइयाँ दूर हो जाती हैं, और हमें सही मार्ग पर चलने की शक्ति मिलती है।

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