Kartavirya Arjuna Mantra | कार्तवीर्य अर्जुन : वीरता

कार्तवीर्य अर्जुन, हिन्दू पौराणिक ग्रंथ ‘महाभारत’ में एक महत्वपूर्ण पात्र है। महाभारत में इनके  सौर्य गाथा का वर्णन हुआ है।कार्तवीर्य अर्जुन का चरित्र महाभारत में सहस्रबाहु और धार्मिक पुरुष के रूप में दर्शाया गया है। अर्जुन के बहादुरी और वीरता के कारण वे कार्तवीर्य अर्जुन के नाम से प्रसिद्ध हुए।Kartavirya Arjuna Mantra आपके लिए उपलब्ध है।

Kartavirya Arjuna Mantra

कार्तवीर्यार्जुनॊनाम राजाबाहुसहस्रवान् …
तस्यस्मरण मात्रॆण गतम् नष्टम् च लभ्यतॆ !!

कार्तवीर्यह:खलद्वॆशीकृत वीर्यॊसुतॊबली …
सहस्र बाहु:शत्रुघ्नॊ रक्तवास धनुर्धर: !!

रक्तगन्थॊ रक्तमाल्यॊ राजास्मर्तुरभीश्टद:…
द्वादशैतानि नामानि कातवीर्यस्य य: पठॆत् !!

सम्पदस्तत्र जायन्तॆ जनस्तत्रवशन्गतह:…
आनयत्याशु दूर्स्थम् क्षॆम लाभयुतम् प्रियम् !!

सहस्रबाहुम् महितम् सशरम् सचापम्…
रक्ताम्बरम् विविध रक्तकिरीट भूषम् !!

चॊरादि दुष्ट भयनाशन मिश्टदन्तम्…
ध्यायॆनामहाबलविजृम्भित कार्तवीर्यम् !!

यस्य स्मरण मात्रॆण सर्वदु:खक्षयॊ भवॆत्…
यन्नामानि महावीरस्चार्जुनह:कृतवीर्यवान् !!

हैहयाधिपतॆ: स्तॊत्रम् सहस्रावृत्तिकारितम्…
वाचितार्थप्रदम् नृणम् स्वराज्यम् सुक्रुतम् यदि !!

॥ इति श्री कार्तवीर्यार्जुन स्त्रोत द्वादश नामस्तॊत्रम् सम्पूर्णम् !!

यह दिन सूर्य देव की पूजा का भी महत्वपूर्ण दिन होता है, और उसी दिन surya dev ki aarti, Surya Namaskar Mantra का जाप करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। जो आपके भक्तिमय जीवन को और भी ऊर्जावान बना देता है।

पूजा करने के बारे में निम्नलिखित सूची में विवरण दिया गया है

  1. पवित्रता: जिनको को पूजा करना है वे  नहाकर खुद को पवित्र कर लें। 
  2. वस्त्र :  पूजा में बैठने के लिए आप लाल रंग के वस्त्र पहन कर बैठे। 
  3. त्याग: इनका पूजा करने के लिए आप को अपने मन से सभी मोह -माया को त्याग करना चाहिए ,इसका मतलब ये नहीं की आप सांसारिक जीवन को ही त्याग दे बस अपने अंदर से लालच ,छल -कपट इत्यादि को खत्म कर दें।.
  4. पूजा स्थल: पूजा के लिए एक साफ -सुथरा पवित्र और शांत स्थल का चुनाव करें। 
  5. मूर्ति: मूर्ति या चित्र को पूजा स्थल पर स्थापित करें।
  6. धूप और दीप: धूप और दीप जलाकर स्तुति करें। 
  7. पुष्प: फूलों से पूजा स्थल को सजा ले। 
  8. मंत्र जाप: मंत्रों का जाप करें और उनसे सफल और शालीन जीवन के लिए आशीर्वाद मांगें। 
  9. भोजन: आपको पूजा के बाद एक सात्विक यानि सादा भोजन बना  ले। जैसे की फल, दाल, और चावल। 
  10. दान: पूजा करने वाले व्यक्ति को गरीबों और जरूरतमंदों को जितना आप के पास होसके दान अवश्य करना चाहिए।

यह है पूजा करने की विधि । यहां ध्यान देने वाली बात यह है की अलग -अलग स्थानों पर इनके पूजा करने के तरिके अलग -अलग है तो आप अपने स्थानीय गुरुओं से सलाह ले सकते हैं। 

कार्तवीर्य अर्जुन के पूजा करने के लाभ कुछ इस प्रकार हैं

  • आध्यात्मिक विकास: पूजा करने से आप अध्यात्म के विकास में सहायक होते हैं।  
  • धार्मिक संजीवनी: पूजा आपको धार्मिकता से जोड़ता है क्योकि वे खुद धर्म के मार्ग पर चलते थे।
  • बल, वीरता और साहस: पूजा से आपके अंदर बल ,वीरता और साहस बढ़ता है जिससे आपके  आत्मविश्वास में कमी नहीं होती बल्कि और बढ़ता है। 
  • संतान सुख: पूजा से परिवार में आज्ञाकारी और बात मानने वाला संतान सुख मिलता  है।
  • आरोग्य और लाभ: पूजा करने से आपका  शारीरिक स्वास्थ्य बना रहता है और आपको विभिन्न प्रकार के रोगों से लड़ने की क्षमा मिलती है। 
  • धन और समृद्धि: आपके जीवन में धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है, और आपके आर्थिक स्थिति में सुधार होता है। 
  • आत्मा की शांति: आपकी आत्मा को शांति प्रदान करता है आप के अंदर कोई लालच नहीं रह जाता है जिससे आप सुखी जीवन जीते हैं। 
  • मान सम्मान : इनकी पूजा अपने खोये मान -सम्मान को वापस पाने के लिए भी किया जाता है। 

कब करें:

  • कार्तिक मास की द्वादशी: पूजा का सबसे अच्छा समय कार्तिक मास की द्वादशी को होता है, जो गुजराती पंचांग के अनुसार ‘वाघ बरस’ के नाम से जाना जाता है। इस दिन आप इनका व्रत करके पूजा कर सकते हैं। यह दिन उनकी जयंती के रूप में मनाया जाता है। 
  • आदित्य दिन: आदित्य दिन पर भी किया जाता है, जो वार्षिक रूप में मनाया जाता है. यह दिन सूर्य देव की पूजा का भी महत्वपूर्ण दिन होता है, और उसी दिन पूजा की जाती है।

FAQ

कार्तवीर्य अर्जुन की कहानी क्या है ?

कहानी महाभारत में श्री कृष्ण और अर्जुन के बीच होने वाले धार्मिक और सही-गलत की बातों से है।

क्या पूजा को किसी विशेष तरीके से करना चाहिए ?

पुरे महाभारत में अर्जुन के कितने नाम हैं ?

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