शनि स्तोत्र : शनिदेव को प्रसन्न करने का शक्तिशाली उपाय

शनि स्तोत्र एक पवित्र ग्रंथ है, जिसमें शनिदेव की महिमा का वर्णन किया गया है। जब कोई व्यक्ति शनि की साढ़े साती, ढैया या महादशा से गुजर रहा होता है, तो ऐसे में Shani Stotra का नियमित पाठ करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है। यह Dashrath Krit Shani Stotra भगवान शनिदेव के क्रोध को शांत करने और उनकी कृपा पाने का सरल मार्ग है। अपने जीवन में शांति, सफलता और समृद्धि के लिए नीचे दिए गए Shani Stotra In Hindi का नित्य जाप अवश्य करें-

Shani Stotra

नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च॥
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम:॥१॥

नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च॥
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते॥२॥

नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:॥
नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते॥३॥

नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नम:॥
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने॥४॥

नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते॥
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च॥५॥

अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते॥
नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते॥६॥

तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च॥
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:॥७॥

ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे॥
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्॥८॥

देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगा:॥
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत:॥९॥

प्रसाद कुरु मे सौरे ! वारदो भव भास्करे॥
एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल:॥१०॥

Shani Stotra

नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च॥
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम:॥१॥

नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च॥
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते॥२॥

नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:॥
नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते॥३॥

नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नम:॥
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने॥४॥

नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते॥
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च॥५॥

अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते॥
नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते॥६॥

तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च॥
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:॥७॥

ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे॥
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्॥८॥

देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगा:॥
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत:॥९॥

प्रसाद कुरु मे सौरे ! वारदो भव भास्करे॥
एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल:॥१०॥

Shani Stotra का नियमित पाठ न केवल शनि दोष को कम करता है, बल्कि जीवन में शांति और स्थिरता भी लाता है। यदि आप साढ़े साती या ढैया के प्रभाव से परेशान हैं, तो Shani Chalisa और Shani Mantra का जाप अवश्य करें। शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए Shani Aarti गाएं और Shani Mandir जाकर तेल अभिषेक करें। शनिदेव की उपासना से हर बाधा दूर होती है और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।

Dashrath Krit Shani Stotra In Hindi पाठ विधि

Shani Stotra Lyrics का पाठ करना शनिदेव की कृपा प्राप्त करने का एक प्रभावी तरीका है। इसलिए इसका सही विधि से पाठ करना बहुत जरुरी है। यहां हमने पाठ करने की सरल और प्रभावी विधि को बताया है-

  1. स्नान: स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें और पूर्व या पश्चिम दिशा की ओर मुख करके बैठें।
  2. पूजा स्थल: पूजा के लिए आप किसी भी साफ स्थान या घर के मंदिर और शनिदेव के मंदिर में जाके पाठ कर सकते है।
  3. मूर्ति या फोटो: अपने सामने शनिदेव की फोटो या प्रतिमा रखें और दीपक जलाएं।
  4. मंत्र उच्चारण: तिल का तेल और काले तिल अर्पित करें और शनि मंत्र का उच्चारण करें।
  5. पाठ: अब शांत मन से Dashrath Krit Shani Stotra In Hindi का पाठ करें (कम से कम 11 बार पढ़ना शुभ माना जाता है)। पाठ के बाद शनि अष्टक या शनि चालीसा का पाठ भी कर सकते हैं।
  6. अभिषेक: यदि संभव हो तो शनि देव के 108 नामों का जप करें और सरसो के तेल से शनिदेव का अभिषेक करें और शनिवार के दिन गरीबों को दान करें और काले तिल, काली उड़द या लोहे का दान करें।

नियमित रूप से इस विधि से शनि स्तोत्र का पाठ करने से शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन की बाधाएं दूर होती हैं।

FAQ

इस स्तोत्र का पाठ किस दिन करना चाहिए?

क्या शनि भगवान स्तोत्र का पाठ करने के लिए किसी विशेष नियम का पालन करना चाहिए?

क्या यह स्तोत्र किसी भी समय पढ़ सकते हैं?

हां, लेकिन इसे सुबह या शाम के समय शांत वातावरण में पढ़ना सबसे अधिक प्रभावशाली होता है।

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