शनि चालीसा हिंदू धर्म में भगवान शनि देव की स्तुति के लिए एक अत्यंत प्रभावशाली भक्ति ग्रंथ है। Shani Chalisa में 40 दोहे और चौपाइयां शामिल हैं, जो शनिदेव की महिमा का गुणगान करती हैं। ऐसा माना जाता है कि Shani Chalisa Lyrics के नियमित पाठ से व्यक्ति के जीवन में शनि ग्रह के अशुभ प्रभाव कम होते हैं और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
Shri Shani Chalisa में भगवान शनि की उत्पत्ति, उनका स्वरूप, शक्तियाँ और उनके द्वारा किए गए प्रमुख कार्यों का विस्तृत वर्णन मिलता है। यहां हमने आपके लिए इस चालीसा को विस्तार से उपलब्ध कराया है-
Shani Chalisa
दोहा
जय-जय श्री शनिदेव प्रभु।
सुनहु विनय महराज॥
करहुं कृपा हे रवि तनय।
राखहु जन की लाज॥
चौपाई
जयति-जयति शनिदेव दयाला॥
करत सदा भक्तन प्रतिपाला॥1॥
चारि भुजा तन श्याम विराजै॥
माथे रतन मुकुट छवि छाजै॥2॥
परम विशाल मनोहर भाला॥
टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला॥3॥
कुण्डल श्रवण चमाचम चमकै॥
हिये माल मुक्तन मणि दमकै॥4॥
कर में गदा त्रिशूल कुठारा॥
पल विच करैं अरिहिं संहारा॥5॥
पिंगल कृष्णो छाया नन्दन॥
यम कोणस्थ रौद्र दुःख भंजन॥6॥
सौरि मन्द शनी दश नामा॥
भानु पुत्रा पूजहिं सब कामा॥7॥
जापर प्रभु प्रसन्न हों जाहीं॥
रंकहु राउ करें क्षण माहीं॥8॥
पर्वतहूं तृण होई निहारत॥
तृणहंू को पर्वत करि डारत॥9॥
राज मिलत बन रामहि दीन्हा॥
कैकइहूं की मति हरि लीन्हा॥10॥
बनहूं में मृग कपट दिखाई॥
मात जानकी गई चुराई॥11॥
लषणहि शक्ति बिकल करि डारा॥
मचि गयो दल में हाहाकारा॥12॥
रावण की गति-मति बौराई॥
रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई ॥13॥
दियो कीट करि कंचन लंका॥
बजि बजरंग वीर को डंका॥14॥
नृप विक्रम पर जब पगु धारा॥
चित्रा मयूर निगलि गै हारा॥15॥
हार नौलखा लाग्यो चोरी॥
हाथ पैर डरवायो तोरी॥16॥
भारी दशा निकृष्ट दिखाओ॥
तेलिहुं घर कोल्हू चलवायौ॥17॥
विनय राग दीपक महं कीन्हो॥
तब प्रसन्न प्रभु ह्नै सुख दीन्हों॥18॥
हरिशचन्द्रहुं नृप नारि बिकानी॥
आपहुं भरे डोम घर पानी॥19॥
वैसे नल पर दशा सिरानी॥
भूंजी मीन कूद गई पानी॥20॥
श्री शकंरहि गहो जब जाई॥
पारवती को सती कराई॥21॥
तनि बिलोकत ही करि रीसा॥
नभ उड़ि गयो गौरि सुत सीसा॥22॥
पाण्डव पर ह्नै दशा तुम्हारी॥
बची द्रोपदी होति उघारी॥23॥
कौरव की भी गति मति मारी॥
युद्ध महाभारत करि डारी॥24॥
रवि कहं मुख महं धरि तत्काला॥
लेकर कूदि पर्यो पाताला॥25॥
शेष देव लखि विनती लाई॥
रवि को मुख ते दियो छुड़ाई॥26॥
वाहन प्रभु के सात सुजाना॥
गज दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना॥27॥
जम्बुक सिंह आदि नख धारी॥
सो फल ज्योतिष कहत पुकारी॥28॥
गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं॥
हय ते सुख सम्पत्ति उपजावैं॥29॥
गर्दभहानि करै बहु काजा॥
सिंह सिद्धकर राज समाजा॥30॥
जम्बुक बुद्धि नष्ट करि डारै॥
मृग दे कष्ट प्राण संहारै॥31॥
जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी॥
चोरी आदि होय डर भारी॥32॥
तैसहिं चारि चरण यह नामा॥
स्वर्ण लोह चांदी अरु ताम्बा॥33॥
लोह चरण पर जब प्रभु आवैं॥
धन सम्पत्ति नष्ट करावैं॥34॥
समता ताम्र रजत शुभकारी॥
स्वर्ण सर्व सुख मंगल भारी॥35॥
जो यह शनि चरित्रा नित गावै॥
कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै॥36॥
अद्भुत नाथ दिखावैं लीला॥
करैं शत्राु के नशि बल ढीला॥37॥
जो पंडित सुयोग्य बुलवाई॥
विधिवत शनि ग्रह शान्ति कराई॥38॥
पीपल जल शनि-दिवस चढ़ावत॥
दीप दान दै बहु सुख पावत॥39॥
कहत राम सुन्दर प्रभु दासा॥
शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा॥40॥
यदि आप अपने जीवन में शनि ग्रह के दुष्प्रभावों से बचना चाहते हैं, तो Shani Chalisa का नित्य पाठ करें और भगवान शनि की कृपा प्राप्त करें। उनकी आराधना से न केवल बाधाएं दूर होती हैं, बल्कि व्यक्ति का आत्मबल भी बढ़ता है, जिससे वह अपने जीवन में आगे बढ़ने में सक्षम होता है।
Shani Dev Chalisa पाठ विधि
- स्नान – सुबह स्नान कर साफ व नीले या काले रंग के वस्त्र पहनें।
- पूजा – शनिदेव की मूर्ति या चित्र के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
- प्रसाद अर्पित करें – काले तिल, सरसों का तेल, उड़द दाल और गुड़ का भोग लगाएं।
- चालीसा का पाठ – श्रद्धा भाव से बैठकर शनि चालीसा का पाठ करें।
- मंत्र जाप – “ॐ शं शनैश्चराय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
- भोग वितरण – जरूरतमंदों को भोजन या काले तिल, उड़द दाल और तेल दान करें।
- शनिवार को विशेष पूजा – शनिवार को यह विधि करना अधिक शुभ माना जाता है।
FAQ
चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?
चालीसा का पाठ शनिवार के दिन या प्रतिदिन सुबह एवं संध्या समय किया जा सकता है।
इस चालीसा का पाठ करने से क्या लाभ होता है?
यह पाठ शनि के अशुभ प्रभावों को कम करता है, बाधाओं को दूर करता है और जीवन में सुख-समृद्धि लाता है।
क्या शनि भगवान के चालीसा का पाठ करने से शनि की साढ़े साती का असर कम होता है?
हाँ, नियमित पाठ से साढ़े साती और ढैया के कष्टों में राहत मिलती है।
मैं हेमानंद शास्त्री, एक साधारण भक्त और सनातन धर्म का सेवक हूँ। मेरा उद्देश्य धर्म, भक्ति और आध्यात्मिकता के रहस्यों को सरल भाषा में भक्तों तक पहुँचाना है। शनि देव, बालाजी, हनुमान जी, शिव जी, श्री कृष्ण और अन्य देवी-देवताओं की महिमा का वर्णन करना मेरे लिए केवल लेखन नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना है। मैं अपने लेखों के माध्यम से पूजन विधि, मंत्र, स्तोत्र, आरती और धार्मिक ग्रंथों का सार भक्तों तक पहुँचाने का प्रयास करता हूँ। 🚩 जय सनातन धर्म 🚩