शनि अमृतवाणी: शांति और शनिदेव की कृपा पाने का सरल मार्ग

शनि अमृतवाणी एक ऐसी दिव्य रचना है जिसे सुनने या पढ़ने से जीवन में शनि दोष से राहत मिलती है। जो लोग Shani Sade Sati या Mahadasha से प्रभावित हैं, उनके लिए Shani Amritwani एक मानसिक और आध्यात्मिक सहारा बनती है। इसे नियमित रूप से श्रद्धा से सुनने या पढ़ने पर शनिदेव की कृपा बनी रहती है। यहां हमने इस अमृत वाणी के लिरिक्स को उपलब्ध कराया है-

Shani Amritwani

नौ ग्रहों के शिरोमणि
विनय भक्तों की मान
दुःख की ज्वाला शांत कर
सुख का दे वरदान॥

जीवन के उत्थान में
तेरा बड़ा ही योग
तेरा अर्चन कर रहे
इसलिए सब लोग॥

गृह कलह के दोष को
जीवन से कर दूर
मनों के मेल मिलाप से
गृहस्थी हो पुर नूर॥

करुणा तेरी लाभ भरी
क्रोध तो हानि करे
अपने साधक को देना
सच्ची सहज विजय॥

जय जय जय शनि देव
जय जय जय शनि देव…

भाग्य विधाता ना करना
भय कारक कोई काम
भानुसुत हम जप रहे
निष्ठा से तेरा नाम॥

सम्पति नाशक बुरी दशा
का कर देना अंत
तेरी इच्छा पर निर्भर
पतझड़ और बसंत॥

हमरे स्वाभिमान को
लगने ना देना ठेस
कृपा का अमृत बांट के
काटे सकल कलेश॥

अपने दुष्ट प्रभाव की
आंधी देना रोक
तेरा अनुग्रह मांगते
दाता तीनों लोक॥

जय जय जय शनि देव
जय जय जय शनि देव…

पर्वत को तू राई करे
कांटे बनाता फूल
तेरी मर्जी से चन्दन
की प्रतिष्ठा धुल॥

परम विशाल मालाधर
वाहन तेरा श्वान
तेरे शुभ संकेत से
होता जन कल्याण॥

टेढ़ी दृष्टि जब तेरी
भृकुटि हो विकराल
बड़े बड़े महादानी भी
होते स्वयं कंगाल॥

होता जब प्रसन्न तू
रंक भी राजा होय
तेरी शक्ति की समता
करे ना जग में कोय॥

जय जय जय शनि देव
जय जय जय शनि देव…

दिनकर बाल शनैश्चरा
दिन का उजाला दे
हर पल करे उपासना
हर्ष की माला दे॥

कभी भी बोना न कहीं
दुष्कर्मों के बीज
विष को अमृत कर देना
तेरे लिए क्या चीज॥

सद्गुण के हथियार से
दुर्गुण देना मात
छोड़ के टेढ़ी चाल को
हमपे कर उपकार॥

अपने ढईया साढ़े साती
हम पर ना आजमा
तेरा चिंतन जो करे
उनकी चिंता मिटा॥

जय जय जय शनि देव
जय जय जय शनि देव
जय जय जय शनि देव
जय जय जय शनि देव…

Shani Amritwani

नौ ग्रहों के शिरोमणि
विनय भक्तों की मान
दुःख की ज्वाला शांत कर
सुख का दे वरदान॥

जीवन के उत्थान में
तेरा बड़ा ही योग
तेरा अर्चन कर रहे
इसलिए सब लोग॥

गृह कलह के दोष को
जीवन से कर दूर
मनों के मेल मिलाप से
गृहस्थी हो पुर नूर॥

करुणा तेरी लाभ भरी
क्रोध तो हानि करे
अपने साधक को देना
सच्ची सहज विजय॥

जय जय जय शनि देव
जय जय जय शनि देव...

भाग्य विधाता ना करना
भय कारक कोई काम
भानुसुत हम जप रहे
निष्ठा से तेरा नाम॥

सम्पति नाशक बुरी दशा
का कर देना अंत
तेरी इच्छा पर निर्भर
पतझड़ और बसंत॥

हमरे स्वाभिमान को
लगने ना देना ठेस
कृपा का अमृत बांट के
काटे सकल कलेश॥

अपने दुष्ट प्रभाव की
आंधी देना रोक
तेरा अनुग्रह मांगते
दाता तीनों लोक॥

जय जय जय शनि देव
जय जय जय शनि देव...

पर्वत को तू राई करे
कांटे बनाता फूल
तेरी मर्जी से चन्दन
की प्रतिष्ठा धुल॥

परम विशाल मालाधर
वाहन तेरा श्वान
तेरे शुभ संकेत से
होता जन कल्याण॥

टेढ़ी दृष्टि जब तेरी
भृकुटि हो विकराल
बड़े बड़े महादानी भी
होते स्वयं कंगाल॥

होता जब प्रसन्न तू
रंक भी राजा होय
तेरी शक्ति की समता
करे ना जग में कोय॥

जय जय जय शनि देव
जय जय जय शनि देव...

दिनकर बाल शनैश्चरा
दिन का उजाला दे
हर पल करे उपासना
हर्ष की माला दे॥

कभी भी बोना न कहीं
दुष्कर्मों के बीज
विष को अमृत कर देना
तेरे लिए क्या चीज॥

सद्गुण के हथियार से
दुर्गुण देना मात
छोड़ के टेढ़ी चाल को
हमपे कर उपकार॥

अपने ढईया साढ़े साती
हम पर ना आजमा
तेरा चिंतन जो करे
उनकी चिंता मिटा॥

जय जय जय शनि देव
जय जय जय शनि देव
जय जय जय शनि देव
जय जय जय शनि देव...

इस शनि अमृतवाणी का पाठ हमारे जीवन में नकारात्मकता को दूर कर सकारात्मक ऊर्जा को आमंत्रित करता है। यह केवल एक भजन नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना है जो शनि देव की कृपा प्राप्त करने का सशक्त माध्यम है।यदि आप शनि से जुड़ी और भी गहराई से जानकारी चाहते हैं, तो Shani Mahadasha Effects, Shani Sade Sati Current Status, और Shani Chandra Yuti जैसे विषयों पर भी ज़रूर पढ़ें।

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